सोमवार, 29 दिसंबर 2014

काश


जैसे कुछ न मिला हो पाकर भी बहुत कुछ ।
काश एक तू मिलता और कुछ न मिलता ।
---शिवराज----

रविवार, 28 दिसंबर 2014

ख़ामोशी


कुछ कहते कहते खामोश रह गया ।
आँख में रुका हुआ मोती बह गया ।
किसी को जरा सी खबर भी न हुई ।
वो शख्स जाने क्या क्या सह गया ।
____शिवराज______

शनिवार, 20 दिसंबर 2014

मुश्किल


खामोश रह के सब बताते हो ।
दर्द सहते रहते हो या सताते हो ।
मुश्किल में तुम भी हो मैं भी ।
देखना है डुबोते हो या तराते हो ।
-----शिवराज---------

गुरुवार, 18 दिसंबर 2014

मैं आज क्या बात लिखूँ


देश के हालात लिखूँ 
पडोसी के हादसात लिखूँ 

दर्द के एहसास लिखूँ 
आदमी की औकात लिखूँ 

प्रेम की कोई पात लिखूँ 
मन की कोई बात लिखूँ 

धर्म का प्रचार लिखूँ 
नया कोई विचार लिखूँ

कुदरत की करामात लिखूँ 
हर रोज़ की मुश्किलात लिखूँ 

अनसुलझे सवालात लिखूँ 
मस्ती का कोई राज़ लिखूँ 

बच्चों की कहानी लिखूँ 
गरीब की जवानी लिखूँ 

क्या लिखूँ निर्भया को
या दुल्हन की हया को

ज़रा मुझे सोचने दो 
मैं आज क्या बात लिखूँ 

-----शिवराज शर्मा ----

बुधवार, 17 दिसंबर 2014

पेशावर हादसे पर तालिबान को


ये क्या कुकृत्य किया
तेरी आत्मा क्या मर गयी
देख कर ये द्रश्य आज
मौत भी सिहर गयी
हैवानियत की हद से आगे
आज तू निकल गया
दर्द मिला दुनियां को
अरे तुझको क्या मिल गया
हर आँख नम हुई
हर होंठ सील गया
हर मुट्ठी कस गयी
हर चेहरा भींच गया
हर एक मासूम जो
कल खुदा के घर गया
तेरा विनाश करना है
ये ही कह कर गया
शर्मसार है हम यहाँ
जो इतना कुछ घट गया
शिक्षा का एक मंदिर
लाशों से पट गया
तेरी हिम्मत यूं हुई
की आदमी था बंट गया
देख कर दरिंदगी
लेकिन अब सिमट गया
खैर तू मना ले अब
तेरा अंत है निकट
साथ है अब सारी दुनियां
बस अब तू तो गया
~~~शिवराज~~~

दरवाज़े


दरवाज़े के उस पार 
कोई होता है 
जिसका इंतज़ार 
हमेशा रहता है ।
मैंने देखा है 
लोगों के दिल का 
पिछला दरवाज़ा 
हमेशा खुला रहता है 
~~~शिवराज~~~

मंगलवार, 16 दिसंबर 2014

दर्द का एहसास


दर्द का एहसास जाते जाते जाएगा ।
फिर कोई नया आते आते आएगा ।
पहले सी दीवानगी अब होगी नहीं ।
कोई भायेगा तो भाते भाते भायेगा ।
-------शिवराज----

सोमवार, 15 दिसंबर 2014

इट्स ओके


लोगों ने दिए धोखे
बट इट्स ओके ।
तूने क्यों दिए मौके
सो इट्स ओके
क्या मिलेगा रो के
अरे इट्स ओके
जाग गया तू सो के
तो अब इट्स ओके
-शिवराज-


शनिवार, 13 दिसंबर 2014


जीवन का सफ़र



जीवन एक यात्रा है ।
दुःख तो इस बात का है
ये ऐसी यात्रा जैसे की
भारतीय रेल में होती है ।
जहाँ महीन रह जाता है ।
सफ़र और सफर (suffer) का अंतर
अगर जीवन एक सैर होती
तो शायद अच्छा रहता ।
किसी हरे भरे बाग़ में जैसे
सुबह की ताज़गी भरी सैर ।
~~~~~~शिवराज~~~

गुरुवार, 11 दिसंबर 2014

मुसाफिर

बेखबर था तेरे शहर का मुसाफिर बाख़बर नहीं था
उस रस्ते पे चल पड़ा जिसपे तेरा घर नहीं था
दीवानगी घुमाती फिरती रही उसको हर तरफ
होश आया तो देखा वो जहाँ से चला वहीँ था
~~~~~शिवराज~~~~~~~~~~

कुछ भी हो सकता है


वक़्त की इच्छा है वो बदल सकता है
खोटा सिक्का भी कहीं चल सकता हैं
उसको ज्यादा सोचना अच्छा नहीं
कभी कोई ख्वाब पल भी सकता है
हर आदमी को शक के दायरे में रखो
कोई भी कुछ भी निकल सकता है
कभी देखा भी है इंसान को रंग बदलते
यूं ही गिरगिट को माहिर समझ रखा है
दुनियां में जीने की अदा को ऐसे समझो
जैसे पानी माटी के साँचे में ढल सकता है
~~~~~शिवराज~~~~~~~~~

सोमवार, 8 दिसंबर 2014

कुछ बातें



पूछा जो मुझसे किसी ने बता क्या तेरे ख्वाब हैं ।
मैं बोला ख्वाब में भी वही है जिनके मुझे ख्वाब हैं ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
मुझसे पुछा जो किसी ने क्या तुम्हारे ख्वाब हैं ।
हँसते हुए कहा अब ख्वाब ही तो मेरे ख्वाब हैं ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
शिवराज

शनिवार, 6 दिसंबर 2014

मेरे दिल के खिड़की दरवाज़े तो तब से बंद हैं
जब से अंदर आकर उसने कुंडी लगा दी थी
~~~~~शिवराज~~~~~~~

गुरुवार, 4 दिसंबर 2014

देखते हैं


जब भी देखते हैं क्या बात देखते हैं
हसींन और हंसी एक साथ देखते हैं
अच्छे से देखी है हमने सारी दुनियां
तुझ में कुदरत की करामात देखते हैं
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
तेरी हस्ती ने ही निखारी है ये दुनियां
बड़ी ही खूबसूरत और प्यारी दुनियां
मेरी दुनियां है अब तुम्हारी दुनियां
अब जिंदगी हम तेरे साथ देखते हैं
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
तू है मौजूद तो कुछ है मेरा वजूद
वरना जीने की तम्मना कहाँ थी
अब मरने से डर मुझको लगे है
हम अपने बदलते जज़्बात देखते हैं
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
तू मिला है तो जैसे कहीँ खो गया मैं
क्या था और क्या हो गया हूँ मैं
अब तो कहने लगे हैं मेरे अज़ीज़
तुझे आज कल बहुत कम देखते हैं

~~~~~शिवराज~~~~~~~

मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

एक बात/ Ek Baat


गम ढूँढोगे तो गम ही मिलेगा
ख़ुशी ढूँढोगे तो ख़ुशी मिलेगी
तलाश किसकी है ये तय करो
वो आज नहीं तो कल मिलेगी
~~~~~ शिवराज~~~
Gum dhoondhoge togum hi milega
Khushi dhoondhige to khushi milegi
Talash kiski hai ye tay kero
Vo aaj nahi to kal milegi

~~~~~Shivraj~~~~~~~

रविवार, 30 नवंबर 2014

व्यथा


ज्ञात है सीमाएं मुझे अपनी ।
ज्ञात है सीमाऐं मुझे उसकी ।
मेरी सीमाए छु सकती है  
उसकी सीमाओ को ।
उस की सीमाओं की 
परिधि के अंदर जाना 
मुझे सख्त मना है,
अपनी सीमाएं तोड़ कर ।
बस इंतज़ार कर सकता हूँ 
सीमाये टूटने का 
या तो मेरी या उसकी ।
मैंने सुना है सीमाएं टूटती हैं ।
~~~~शिवराज~~~~~

शुक्रवार, 28 नवंबर 2014

पाखण्ड


साधू संत महंत, महिमा अनंत
समझो तो कोई, कौन है छुपा
किस भेष, किस परिवेश में 
किस काल में, किस देश में 
भक्त अनंत, भक्ति अनंत 
उनके साथ फिर छल अनंत 
चोट समाज पर, घाव अनंत 
जब विश्वास टूटे, राह छूटे 
नज़र में फ़ेर आये अनंत 
पाखंड एक दिन होता अंत 
इसलिए चाहिए हर मनुज 
जाने समझे और परखे 
के कौन संत , कैसा है संत 
जंगल जंगल, बाग़ बाग़ 
घूमते फिरते तमाम नाग
कुछ जकड़े फंदा कस मारे 
कुछ यूं ही फन फैलाये बेचारे 
और कुछ के होते विषदंत 
पहचानो इनको कौन सा है 
तब ही खेलो इनके संग 
----शिवराज--------

शनिवार, 22 नवंबर 2014

बचपन / Bachpan




अपने बचपन को दिल में धड़कने दो ।
जिंदगी की उम्र कुछ तो बढ़ जाएगी ।
Apne bachpan ko dil mein dhadakne do
Jindgi ki umr kuch to badh jaayegi

तकलीफें तो हम प्याला हैं हयात की ।
वक़्त के साथ आएंगी गुज़र जायेगी ।
Takleefe to humpyala hai hayat ki
Vaqt ke saath aayegi gujar jaayengi

बच्चों के लिए कुछ नेकियां छोड़ना।
देखना पीढ़िया तुमको गुनगुनाएंगी।
Baccho ke lie kuch nekiyan chodna
Dekhna peedhiyaan tumko gungunayegi

--------शिवराज------------


मंगलवार, 18 नवंबर 2014

लाजवाब / Laajawab


लाजवाब जवाब ,हर सवाल का दिया ।
हौले से मुस्कुराये और हंसी में टाल दिया ।
-----शिवराज------------

Laajawab jawab har sawal ka diya
Haule se muskuraaye aur hansi mein taal diya
--------------shivraj---------

दरारें / Dararen


अब जुड़ भी जाएगा तो दरारें रहेंगी
बारिश के मौसम में छत भी टपकेगी
मेरा दिल तेरा घर था जो तूने तोडा
पर अब भी तमाम उम्र तू यहीं रहेगी
------शिवराज------------

Ab jud bhi jaayega to darare rehengi
Baarish ke mausam mein chat bhi tapkegi


Mera dil tera ghar tha jo tune toda
Par ab bhi tamam umr tu yahi rehagi
----Shivraj-------

गुरुवार, 13 नवंबर 2014

ख़ामोशी / Khamoshi




मेरी ख़ामोशी से तुझे अंदाज़ा नहीं होगा ।
कितने तूफ़ान हैं उठ रहे हैं मेरे सीने में ।
तू मुझे तोड़ने की और कोशिश न कर ।
कहीं साथ मेरे डूब न जाए तू सफ़ीने में ।

------------शिव
Meri khaamoshi se tujhe aandaza nahi hoga
Kitne toofan uth rehe hain mere seene mein 
Tu mujhe todne ki aur koshish na kr 
Kahi saath mere doob na jaaye safeene mein 

----------Shiv

मंगलवार, 11 नवंबर 2014

तन्हाई / Tanhai

तन्हाई

अपनी धुन में था मैं तन्हाई में नहीं
वो मेरे साथ हरदम रही दिल में कहीं

Apni dhun mein tha main tanhai mein nahi
Vo mere saath hardam rehi dil mein kahin

रुस्वा समझ कर मुझको हमदर्द आ गये
मैंने कहा भैया मजे में हूँ जाओ और कही

Ruswa samajh ker mujhko hamdard aa gaye
Maine kaha bhayya meje mein hoon jaao aur kahin

------शिवराज-----

रविवार, 9 नवंबर 2014

सुनों



ख़ुशी बन के रहो या के गम बन के रहो ।
मैं तो ये चाहूं तुम बस मेरे ही बन के रहो ।
कोई भौरे नहीं हो तुम जो आवारा फ़िरो ।
फूल हो बाग़ के एक शाख पे तन के रहो ।
फूल की खुशबू का हक है चमन को भी ।
चाहें कांटो में खिलो दोस्त पवन के रहो ।
तेज हवाओं में तो झुक जाना ठीक है ।
टूटने का खतरा है जो ज्यादा तन के रहो।
जिंदगी जीने का दौर कुछ एसा हुआ है
अच्छा यही है के अब हो कफ़न के रहो ।
_____शिवराज___________

गुरुवार, 6 नवंबर 2014

जन्म दिन मुबारक

मेरे बड़े भाई अरुण त्रिपाठी
को उनके जन्म दिन पे समर्पित


ज्ञान की धारा
स्नेह का सागर
चरित्र से राम
वर्ण से श्याम
वाणी से कोमल
ह्रदय से निर्मल
कार्य में निष्ठा
समाज में प्रतिष्ठा
तेज में रवि
मन से कवि
हमारे साईं
अरुण भाई
एक सुधारक
जन्म दिन मुबारक
शत शत मुबारक
बारम्बार मुबारक
*****शिवराज******

बुधवार, 5 नवंबर 2014

ख़ुशी और दर्द

ख़ुशी और दर्द 
एक साथ मिलकर 
पीछा करते हैं
इंसान का 
जब ख़ुशी साथ चलती है 
दर्द थोडा पीछे हट जाता हैं 
ताकि तेज दौड़ कर वार करे 
बेहद तेज वार 
जब इस वार का दर्द होता है 
तब ख़ुशी आ जाती है पास
हाल पूछने, दर्द कम करने 
दर्द को आँख दिखाती है 
दर्द ओझल हो जाता है 
गर्दन झुका के 
फिर नज़र बचा कर 
दर्द और खुशी दोनों मिलते है 
एक दुसरे को ताली देते हैं 
अट्टाहस उपहास 
आखिर दोनों भाई बहन है 
सगे भाई बहन ।
*****शिवराज******

मंगलवार, 4 नवंबर 2014

जन्म दिन

साल में एक दिन, आता है 
जो एहसास दिलाता है 
काम करने ज्यादा है 
की कम बचे है दिन
             मेरा जन्मदिन

साल में एक दिन, मैं 
जांचने को की तन की उम्र 
से तेज तो नहीं है, मन की उम्र
चेहरे की झुर्रियां लेता, हूँ गिन              
               मेरा जन्म दिन

साल में एक दिन, मुझको
बधाइयों अम्बार होता है 
मगर मन में कहीं होता है 
कम हो रहे हैं जिंदगी के दिन 
             मेरा जन्म दिन 

साल में एक दिन, वो
सब दुख भूल जाती है 
लाती है तोहफा मेरे लिए
मुझे बताये बिन 
              मेरा जन्म दिन 

*******शिवराज*********

सोमवार, 3 नवंबर 2014

चोट /Chot

चोट गैरों से खाई तो संभल गए हम
चोट अपनों से खाई तो बदल गए हम
बदलते संभलते हर एक चोट से 
आहिस्ता आहिस्ता निखर गए हम 
---------शिवराज---------------

Chot gairo se khai to sambhal 
gayee hum
Chot apno se khai to badal gaye 
hum
Badelte sambhalte har ek chot se
Aahista  Aahista nikhar gaye hum
------------Shivraj--------------

वक़्त -२/Waqt-2

वक़्त घाव वक़्त मरहम
वक़्त दुश्मन वक़्त हमदम
चीख़ वक़्त वक़्त सरगम
वक़्त नहीं वक़्त हरदम

वक़्त ईनाम वक़्त सज़ा
वक़्त मना वक़्त रज़ा
बहार वक़्त वक़्त कज़ा
वक़्त शोक वक़्त मज़ा

वक़्त तन्हाई वक़्त मेला
वक़्त गुरु वक़्त चेला
खज़ाना वक़्त वक़्त धेला
वक़्त दर्शक वक़्त खेला

वक़्त आम वक़्त ख़ास
वक़्त डर वक़्त विश्वास
प्रशंशा वक़्त वक़्त उपहास
वक़्त सूनापन वक़्त एहसास 

वक़्त इंसान वक़्त भगवान
वक़्त देव वक़्त शैतान 
मस्त वक़्त वक़्त परेशान 
वक़्त बस्ती वक़्त शमशान 

वक़्त मैं वक़्त तुम 
वक़्त पास वक़्त गुम 
हंसी वक़्त वक़्त हुम 
वक़्त सागर वक़्त खुम 

शिवराज 


रविवार, 2 नवंबर 2014

मेरे अरमान मेरी ख्वाहिश और मेरी तम्मना /Mere arman meri khwhish aur meri tammana

मेरे अरमान मेरी ख्वाहिश और मेरी तम्मना ।
Mere arman meri khwhish aur meri tammana.
मिलो तो कभी फुर्सत से ये सब फिर, पूछना।
Milo to kabhi fursat se ye sab fir,poochna
एसी पहेली बन गयी है ज़िन्दगी इन दिनों ।
Esi paheli ban gayee hai jundgi in dino
मुश्किल है बहुत ही जिसको समझना बूझना ।
Mushkil hai bhaut isko samajhna boojhna
नादान दिल निकल ले चुपचाप दूजी गली से ।
Nadan dil nikal le chupchap duji gali se
इश्क की गली है ये, आगे रास्ता नहीं सूझना ।
Isha ki gali hau ye aage rasta nahi sujhna.
दिल किसी से लगाने को मना करता नहीं मैं ।
Dil kisi se lagane ko mana karta nahi main
टूट जाए तो बस इलाज मुझ से पूछना 
Toot jaaye to bus ilaj mujh se poochna
**********शिवराज************

क्यूँ / kyun

मिजाज़ बदल जाते है मौसम की तरह ।
Mizaz badal jaate hai mausam ki terah
प्यार बदल जाते है पैरहन की तरह ।
Pyar badal jaate hain pairhan ki terah
भरोसा रहा नहीं दोस्त, दोस्ती का भी अब।
Bharosa raha nahi dost, dosti ka bhi ab
के दुश्मन मिलने लगे है दोस्तों की तरह ।
Ke dushman milne lage hain doston ki terah
बच बच के चला हूँ अपनों से परायों से।
Bach bach ke chala hoon apno se parayon se
तब निकली है ये मेरी उमर किसी तरह ।
Tab nikli hai ye meri umar kisi terah
जीना है मजे में तो ये फन सीख लो ।
Jeena hai maje meun to ye fan seekh lo
दिल को बना लो किसी पत्थर की तरह ।
Dil ko bana lo kisi patthar ki terah
उस आदमी का कोई मतलब रहा होगा ।
Us aadmi ka koi matlab reha hoga 
मीठी बाते कर रहा था शक्कर की तरह ।
Meethi baaten ker reha tha shakkar ki terah
बच्चों नें ही उसको घर से बेदर कर दिया 
Baccho ne hi usko ghar se be dar kar diya
काम जिनके लिए किया उम्र भर खच्चर की तरह ।
Kaam jinke lie kiya khchchar ki terah
कान्हा की बांसुरी की धुन सी थी कभी मेरी बातें ।
Kaanha ki baansuri ki dhun si thi kabhi meri baaten
अब चुभने लगी उसे किसी नश्तर की तरह
Ab chubhne lagi use kisi nashtar ki terah
जिन्दगी की आज कल क्या कद्र रह गयी ।
Jindgi ki aajkal kya kadr reh gayee
मरते है रोज़ सैकड़ो मच्छर की तरह 
Marte hai roz saikdo macchar ki rerah
*********शिवराज****************

गुरुवार, 30 अक्तूबर 2014

शब्द, एहसास और डर /Shabd, ehsaas aur dar

शब्द और एहसास
Shabd aur ehsaas
अक्सर मेल नहीं खाते
Aksar male nahi khate
एहसास गहरा हो तो
Ehsaas gehra ho to
शब्द निरुत्तर
Shabd niruttar
शब्द बोले तो
Shabd bole to
एहसास निशब्द
Ehsaas nishabd
ये दुविधा कई बार
Ye duvidha
जन्म लेने नहीं देती
Janm lene nahi deti
एक सच्ची रचना को
Ek sacchi rachna ko
जैसा लेखक चाहता है
Jaisa lekhak chahta hai
बताना ,जाताना ,कहना ,सुनना
Batana ,jatana,kehna,sunana
इस तरह कई लेखनिय़ा 
Is terah kai lekhniya
तोड़ देती हैं दम 
Tod deti hain dum
मैं भी एक नया लेखक हूँ 
Main bhi ek naya Lekhak hoon
-------शिवराज----------

बुधवार, 29 अक्तूबर 2014

सीख /Seekh

चिकने घड़े की तरह बनकर रहो ।
Chikne ghade ki terah bankr reho
खामखाँ क्यों इतना तन के रहो ।
Khamkha kyon itna tan ke reho
अच्छे बुरे में कोई फर्क नहीं हैं ।
Acche bure mein koi fark nahi hai
आजकल जी चाहे वैसे ही रहो ।
Aaj kal ji chaahe vaise reho
अब तो ख़ुदा से कोई डरता ही नहीं ।
Ab to khuda se koibdarta hi nahi
तुम भी काहे को भला डर के रहो ।
Tum bhi kaahe ko bhala dar ke reho
इश्क करना हो तो इतना जान लो ।
Ishq kerna ho to itna jaan lo
रूह बन कर किसीे बदन  के रहो ।
Rooh ban ke kisi badan ke reho
-------शिवराज--------

मंगलवार, 28 अक्तूबर 2014

तोहफा /Tohfa

कुछ तो दूंगा सनम
खुशियाँ नहीं तो गम
जो भी मेरे पास होगा
ये भी मैं जानता हूँ
मेरा कोई भी तोहफा
तुम्हारे लिए खास होगा
-----शिवराज------

रविवार, 26 अक्तूबर 2014

Old is Gold

Someone somewhere told
You are getting old
I laughed  little bold
Replied as if scold
Don't you know
 "Old is gold "
O chaacho "old is gold"
O laale "old is gold"
( three idiot style)
----Shiv raj------

इश्क के बारे में / Ishq ke Baare Mein

गम,दर्द,बैचनी इश्क की सौगाते हैं ।
Gum,dard baichani ishq ki saugaate hain
जानते हैं फिर भी,लोग मरे जाते हैं ।
Jaante hai fir bhi log mare jaate hain
राह कांटो भरी पर समझे मसखरी ।
Raah kaantobhari par samjhe maskhari
जल्दबाजी में नंगे पैर दौड़े जाते हैं ।
Jaldbaazi mein nange pair daude jaate hain
ये इश्क है ज़रा देखो और परखो इसे ।
Ye ishq hai zara dekho aur parkho ise
गर्म दूध पीने से भी होंठ जल जाते हैं ।
Garm doodh peene se bhi honth jal jaate hain
इश्क भरोसे की चीज़ ही नहीं होती ।
Ishq bhorase ki cheez hi nahi hoti
कभी दिल, कभी हालत बदल जाते हैं ।
Kabhi dil, kabhi haalat badal jaate hain
जानता हूँ सीख देना बड़ा आसान हैं ।
Jaanta hoon seekh dena bada aasan hain
जवानी में अक्सर अरमान मचल जाते हैं ।
Jawani meinaksar arman machal jaate hain
मैं उन लोगो का कायल हूँ बहुत दोस्तों।
Main un logon ka kaayal hoon bhaut dosto
एक धोखे से ही जो संभल जाते हैं ।
Ek dhokhe se hi jo sambhal jaate hain.
+---------Shivraj---------+
+---------शिवराज------------+




मंगलवार, 21 अक्तूबर 2014

एक चेहरा/Ek Chehra

फूलों से सजाया हुआ फूल सा ये चेहरा ।
Fooloon se sajaya fool sa ye chehra
आँखों का रंग भी है नीले समंदर सा गहरा ।
Aankho ka rang bhi neele samandar sa gehra
जिस की ये अमानत है उस से कह दे कोई ।
Jiski ye amanat hai us se keh de koi
बड़ा बुरा जमाना है ,जरा  बिठा दे पहरा ।
Bada bura jamana hai, jara baitha de pehra
------------शिवराज---------

शनिवार, 18 अक्तूबर 2014

चेहरा /Chehraa

आज कल ध्यान भटक रहा है मेरा ।
Aaj kal dhyan bhatak reha hai mera
सामने बस रहता है एक ही चेहरा ।
Saamne aata hai ek hi chehra
कुछ ख़ास तो नहीं है लोग कहते हैं ।
Kuch khaas to nahi hai log kehte hain
देख के बताना क्या ख्याल है तेरा ।
Dekh ke batana kya khyal hai tera.
-----------शिवराज-----------

जिन्दगी और वो /Jindgi aur vo

जिन्दगी महंगी पड़ी 
Jindgi mahngi padi
राज बस इतना था ।
Raaz bus itna tha
याद करो मुझको, 
Yaad kero mujhko
महंगी चीजों का 
Mehngi cheezon kaa
शौक कितना था ।
Shauk kitna tha
मैंने जब दे दिया 
Maine jab de dia
सारा का सारा
Saara ka saara
पास जितना था ।
Pass jitna tha
हँस के बोला 
Hans ke bola
क्या प्यार तुम्हारा
Kya pyar tumhara
बस! इतना था ।
Bus! Itna tha
कर रहा था तैय्यारी
Ker reha tha tayyari
कब आये अपनी बारी
Kab aaye apni baari
जानता था इश्क में 
Jaanta tha ishq mein
एक दिन मिटना था ।
Ek din mitna tha
मेरे पास वक़्त भी 
Mere pass vaqt bhi
खुद के लिए बचा नहीं ।
Khud ke lie bacha nahi
बेहतरीन चीज़ को
Behtereen cheez ko
हाथों हाथ बिकना था ।
Haatho haath bikna tha
मेरी लाख मिन्नतो का
Meri laakh minnaton ka
असर हुआ ही नहीं ।
Asar hua hi nahi
छोड़ के चल दिया
Chod ke chal dia
घड़ा बहुत चिकना था ।
Ghada bhaut chikna tha.
------शिवराज

शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2014

मौत का मंज़र / Maut Ka Manzar

मौत का मंज़र मेरी असलियत सामने ले आएगा।
Maut ka manzar meri asliyat saamne le aayega
जब मेरा कातिल ये कहता हुआ पाया जायेगा।
Jab mera kaatil ye kehta hua paya jaayega
नेक था, सच्चा था, ये आदमी बड़ा अच्छा था ।
Nek tha, saccha tha, ye aadmi bada accha tha
एक ही चोट सह न सका दिल का बड़ा कच्चा था ।
Ek hi chot sah na saka dil ka bada kaccha tha.
-------शिवराज--------------

बुधवार, 15 अक्तूबर 2014

Khyal Mere / ख्याल मेरे

प्यार का समंदर है
Pyar ka samandar hai
मेरे दिल के अन्दर है
Mere dil ke andar hai
मेरे बारे में सब पूछते है 
Mere baare mein sab poochte hain
ये कौन मस्त कलंदर है
Ye kaun mast kalandar hai
बादल बन के ख़ुशी बरसाऊँ
Baadal ban ke khushi barsaaoon
ये ख्याल कितना सुन्दर है
Ye khyal kitna sundar hai
जो लूट ले गया मेरा दिल
Loot le gaya mera dil
वो ही दिल के अन्दर है
Vo hi dil ke andar hai
जो सबको अपना बना सके
Jo sabko apna bana sake
वो ही आज का पुरंदर है
Vo hi aaj ka purandar hai.
मैं जहाँ में तलाश करता नहीं
main jahan mein talash kerta nahin
एक सकून मेरे अन्दर है 
Ek sakoon mere andar hai
*******शिवराज********





सोमवार, 13 अक्तूबर 2014

एक दुआ/Ek Dua

तू आबाद रहे दिल तोड़ के जाने वाले ।
Tu aabad rehe dil tod ke jaane wale
ज़माने का चलन मुझको सिखाने वाले ।
Jamaane ka chalan mujhko sikhane wale
अच्छा हुआ तू राह से हट गया खुद ही ।
Accha hua tu raah se hat gaya khud hi
कई और है मेरी जिन्दगी में आने वाले ।
Kai aur hai meri jindgi mrin aane wale

******शिवराज******

वक़्त के बारे में /Vaqt ke baare mein

वक़्त से दोस्ती की कोशिश छोड़ दी मैंने ।
Vaqt se dosti ki koshish chod di maine.
पल पल रंग बदलता है इसके क्या कहने।
Pal pal rang badalta hai iske kya kehne
खामोश रहकर मासूमो पे जुल्म ढाता है ।
khamosh rehker maasoomon pe julm dhata hai
कभी सारे जहाँ में शोर कर इज्जत गिरता है  ।
Kabhi saare jahan mein shor ker ijjat girata hai.
समझने, परखने ,लड़ने और बदलने की ।
Samajhne ,parakhne,ladne aur badalne ki
अपनी सारी की सारी जिदें लो छोड़ दी मैंने ।
Apni saari ki saari jiden lo chod di maine.
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वक़्त से हारा हूँ जब मुझको गुमान होता है ।
Vaqt se haara hoon jab mujhko gumaan hota hai
याद आता है तब जो बड़ो का कहा होता है ।
Yaad aata hai jo badon ka kaha hota hai
जैसे वो बात की "समय बड़ा बलवान" होता है ।
Jaisee ki vo baat ke samay bada balwan hota hai
पर एक नई बात भी मेरी समझ में आई है ।
Par ek nai bast bhi meri samajh mein aaiyi hai
ये लगता है वक़्तअमीरी का बड़ा भाई है ।
Ye lagta hai hai vaqt amiri ka bada bhai hai
और गरीबों की इससे कोई तो लड़ाई है ।
Aur gareebon ki isse koi to ladai hai
भोले भाले समझते है ये साथ खड़ा होता है ।
Bhole-bhale samajhte hai ye saath khada hota hai
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किसके वक़्त का कहो कैसे पता चलता है ।
Kiske vaqt ka keho kaise pata chalta hai
बड़ा धोकेबाज़ है ये हाथ से फिसलता है ।
Bada dhokhebaaz hai ye haath se fisalta hai
अपनी पे आजाये तो ये भाग्य को बदलता है ।
Apni pe aa jaye to ye bhagy ko badlta hai

Esa bhi hota hai kabhi ye bach ke nikalta hai
इतना तुम जान लो ये अगर साथ होता है ।
Itna tum jaan lo ye agar saath hota hai
चाहे निरा गधा ही हो पर सर पे ताज़ होता है ।
Chahe nira gadha hi ho par sar pe taz hita hai.
************शिवराज************

रविवार, 12 अक्तूबर 2014

वो एक शख्स Vo ek shaksh

वो शख्स मुझको बेहद अज़ीज़ था ।
Vo shaksh mujhko behad aziz tha
जिसका दिल किसी और के करीब था
Jiska dil kisi aur ke kareb tha
ये तो मुश्किल था कहना बड़ा के । 
Ye to mushkil tha kehna bada ke
बुरा उसका था या मेरा नसीब था ।
Bura uska tha ya mera naseeb tha
मैंने कई बार टटोला उसको ।
Maine kai baar tatola usko
बातों बातों में थोडा खोला उसको ।
Baaton batoon mein thoda khola usko
न मालूम कर सका कभी भी ।
Na maloom ker saka kabhi bhi
वो हबीब था मेरा, के रकीब था ।
Vo habeeb tha mera, ke rakeeb tha
उसने कई बार दिखाई मुर्रव्वत ।
Usne kai baar dikhai murrawat
पर न दिखाई कभी कोई चाहत ।
Par na dikhai kabhi koi chahat
मुझे तो अच्छी लगती थी बस शरारत ।
Mujhe to acchi lagti thi bus shararat
टूट गया एक दिन जो मेरा भरम था ।
Toot gaya ek din jo mera bharam tha
****शिवराज*********

शनिवार, 11 अक्तूबर 2014

वो / Vo

वो हमेशा मुझसे दुआ सलाम रखता है ।
Vo hamesha mujhse dua salam rekhta hai
मेरे लिए कोई न कोई काम रखता है ।
Mere lie koi na koi kaam rekhta hai
सभी लोगो से तोड़ डाला है उसने रिश्ता ।
Sabhi logon se tod dala hai usne rishta
बस उनसे है जो कोई  इकराम रखता है  ।
Bus unse hai jo koi ikram rekhta hai
फर्क क्या पड़ा उसकी जिन्दगी पे कहो ।
Fark kya pada uski jindgi pe keho
चाहे कोई कितने भी 'नाम रखता' है ।
Chaahe koi kitne bhi' Naam Rekhta' hai
वो जहीन आदमी है तुम मानो न मानो ।
Vo jaheen aadmi hai tum maano na maano
जो हर कदम ज़माने के साथ रखता  है ।
Jo har kadam zamaane ke saath rekhta hai
खुश नसीब हूँ की दोस्त सुन लेते हैं मुझे ।
Khush naseeb hoon ki dost sun lete hain mujhe
ज़माने वाले कहते हैं की क्या बकता है ।
Jamane wale kehte hai ki kya Bakta hai
*********शिवराज************

शुक्रवार, 10 अक्तूबर 2014

दो पंक्तिया / Two lines


तुमको बिना जाने मैं कैसे बयां करू हाल ए दिल ।
देखे तो मुस्कुरा,  सलाम ले, कभी आ के मिल ।
Tumko bina jaane kaisae bayan keroon hasl ae dil
Dekhe to muskra,salam le ,kabhi aa ke mil 

शिवराज

दुनियां और मेरी जिन्दगी

बहुत बेजान है ये दुनिया अब जीने के लिए ।
Bhaut bejaan hai ye duniya ab jeene ke lie
जान हाज़िर है मेरी अजी कोई ले तो सही ।
Zaan haazir hai meri aji koi le to sahi
मैं तो शिद्दत-ए-जज़्बात का बीमार हूँ ।
Main to shiddat ae zazbaat ka bimar hoon
तेरी मजबूरियाँ मुझे जीने देगी भी नहीं ।
Teri mazbooria mujhe jeene dengi bhi nahi
हो सकता है के मेरी तकदीर सवंर जाए ।
Ho sakta hai meri taqder sawar jaaye
हो बेहतर ज़िन्दगी, ज़िन्दगी के बाद कहीं ।
Ho behtar jindgi ,jindgi ke baad kahin
मैंने हयात में गुज़ारे बहुत साल फिर भी ।
Maine hayat mein guzare bhaut saal fir bhi
समझ पाया इसे अब तलक बिलकुल नहीं ।
Samajh paya ise ab talak bilkul nahi
ए खुदा जरा हिसाब किताब कर के बता ।
Ae khuda jara hisab kitab kar ke bata
मेरे खाते में ज़मा कोई दुआ है भी के नहीं ।
Mere khate mein jama koi dua hai ke nahi
********शिवराज********

गुरुवार, 9 अक्तूबर 2014

प्यार

प्यार एक बेरहम खेल है
जिसमे
Pyar ek bereham khel hai
jisme
जिंदगी होती है दाव् पर
Jindgi hoti hai daav par
दो साथी तूफानों में
Do saathi toofano mein
बैठे होते हैं एक नाव पर
Baithe hote hain ek naav par
थपेड़ों को सहते हुए
Thapedo ko sehte hue
पार जाना होता है
Paar jaana hota hai
अपने को, साथी को
Apne ko, saathi ko
और
Aur
जिन्दगी की नाव को
Jindgi ki naav ko
गम के तूफानों से
Gum ke toofano se
बचाना होता है
bachana hota hai

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शिवराज /Shivraj

मंगलवार, 7 अक्तूबर 2014

आदमी


एक सीधे सच्चे आदमी के लिए
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उसकी चौखट पे मेरा सर खुद झुक जाता है ।
मगर वो अपने को छोटा सा आदमी बताता है ।
इस बद ज़माने में कहाँ एसा दिल मिलेगा ।
वो जिस से मिलता है उसे अपना बनता है ।
जहानत का उसकी कभी अंदाज़ा न लगाना ।
दूसरों की गलतियो को भी अपनी बताता है ।
खुशनसीब हूँ मैं मेरे सर पे हाथ है उसका ।
ये ही एहसास मेरा हौसला बढ़ाता है ।
शिवराज

डर /Fear

एक दोस्त के उत्साहवर्धन के लिए
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जो अभी मिला नहीं उसके खोने का डर क्यों ।
अंजाम होगा जो भी आगाज़ पे असर क्यों ।
हम क्यों हमेशा कमतर समझते है खुद को ।
मैं समझ न पाया ये होता है, मगर क्यों ।
तू बढ़ जा, लड़ जा, मर जा ये समर है प्यारे ।
मरना है एक बार तैयार कर खुद को ।
शिवराज

शनिवार, 4 अक्तूबर 2014

वक़्त/वक़्त

कभी बुरा बन के सताता है ।
कभी दीवार बन के बचता है ।
वक़्त की वक़्त ही जाने,मैं क्या ।
ये वही करता है जो चाहता है ।
कभी बड़ी तेज चाल चलता है ।
कभी पल साल भर सा लगता है ।
होता है सब के पास बराबर ।
लेकिन किसी किसी को फलता है ।
बात समझदारों ने ही बताई है ।
बुरे वक़्त में भी एक अच्छाई है ।
ये असलियत निखार देता है ।
कई चेहरों से नकाब उतार देता है ।
मेरी गुजारिश है वक़्त को पहचानो ।
गुजरने पे कहाँ ये मिलता है ।
जो वक़्त के साथ चलता है ।
वक़्त भी उसके साथ चलता है ।
---------शिवराज------------------

गुरुवार, 2 अक्तूबर 2014

मजबूरी /Majboori

हरदम तो कोई मुस्कुरा नहीं सकता ।
हर बात अपनों से छुपा नहीं सकता ।
ढलक जाते है रुखसार तक आंसू ।
चाहे जबां से कुछ बता नहीं सकता ।
*********शिवराज ******
Hardam to koi muskura nahi sakta
Har baat apno se chupa nahi sakta
Dhalak jaate hain rukhsar tak aansoo Chahe jaban se bata nahi sakta
***********Shivraj***********

मंगलवार, 30 सितंबर 2014

मैं तो हूँ

मैं जो भी हूँ जैसा भी हूँ,मैं तो हूँ।
मैं अच्छा बुरा जैसा भी हूँ, मैं तो हूँ।
मुझ में कई कमियां हैं लोग कहते हैं ।
दोस्तों के लिए अच्छा हूँ जैसा भी हूँ।
क्या करूं बह जाता हूँ ज़ज्बात में।
इसलिए दुनियांदारी में कच्चा भी हूँ।
मेरा दिल तोड़ने वाले जान ले ये राज।
मैं बहुत खुश हूँ जहाँ हूँ जैसा भी हूँ।
मेरे जैसो के लिए नहीं हैं दुनिया, माना।
कुछ दिलों में मैं भी मगर बसता तो हूँ।
हर कोई मुझसे ख़ुशी पाता है पायेगा।
आदमी मैं बड़ा सस्ता जो हूँ, हूँ तो हूँ।
*****शिवराज********

धोखा

जितनी खिलखिलाहट थी तेरे साथ में ।
उतना ही सन्नाटा हुआ तेरे बाद में ।
जिन्दगी में अँधेरे का दिया जला गयी ।
कभी रौशनी की किरण लायी थी साथ में ।
मुझे तो तमाम उम्र निभाना है ये रिश्ता ।
के थमा था उसका हाथ कभी मैंने हाथ में ।
 मैंने तो देखा है देता है अक्सर  धोखा ।
न जाने क्या है इस इश्क की जात में ।

शिवराज

सोमवार, 29 सितंबर 2014

मिलना

किस्मत में गर
मिलना नहीं है
तो प्यार क्यों हैं
हर एक आशिक को
अपने इश्क पे
इतना एतबार क्यों है
इश्क गुनाह है तो
हर इंसान के दिल में
किसी न किसी के लिए
प्यार क्यों हैं
कुछ नहीं लगता कोई
फिर भी जां उस पे
होती निसार क्यों है
किस्मत में गर
तेरा मिलना नहीं है
मगर कोई है शायद
कहीं है
****शिवराज*****

अँधेरा /Darkness

अँधेरा जरा गहरा है
वक़्त अभी ठहरा है
लौट आना मुश्किल हैं
दिल का घाव गहरा है
रौशनी से मिल तो लेता
सूरज पे मगर पहरा है
बड़ी मिन्नत की मैंने
खुदा शायद बहरा है
****-शिवराज

शुक्रवार, 26 सितंबर 2014

ख़्वाब

ख्वाब
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ये मासूम चेहरा हल्की  सी हंसी ।
किसी नौजवां के ख्वाब सी हो ।
दिन हो तो आफ़ताब सी हो तुम।
और रात चढ़े माहताब सी हो ।

शनिवार, 20 सितंबर 2014

मुहब्बत /Muhabbat

मेरी मुहब्ब्त उस पे असर कर गयी ।
नज़र जो मिली तो कहर कर गई ।
वफ़ा उस में मैं ढूँढता नहीं हूँ कभी ।
जो हंसी मेरे दिल में घर कर गयी ।
******शिवराज********
Meri muhabbat us pe asar kar gayee
Nazar jo mili to kehar ket gayee
Vafa usmein main dhoondhta nahi kabhi
Jo hansi mere dil mein ghar kar gayee
******Shivraj *******

सुबह नई ख्वाब कई

सुबह नई, ख्वाब कई ।
देखना अच्छा लगता है ।
फिर आम आदमी
रोज़ी के लिए
दौड़ने लगता है ।
रोज़ी कोई लड़की नहीं है ।
अरे रोज़ी मतलब
काम, धंधा, मजदूरी ।
जिस को करने से
रोटी, कपडा ,मकान
का होता है इंतजाम ,
और आम आदमी
बन जाता है फिर से
ख्वाब देखने लायक ।
फिर नई सुबह
नये ख्वाब ।
आप तो बड़े आदमी हो ।
हो न ?
क्या समझोगे आप ।

शुक्रवार, 19 सितंबर 2014

बातें / Baaten

क्या बतलाऊँ मेरी बातें 
वही पुरानी मेरी कहानी
मेरी छोड़ो तुम बतलाओ 
कैसे बीती रात सुहानी 
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सपने देखे अपने देखे 
या परियों की कोई कहानी 
क्या वो भी आया था मिलने 
जिसके लिए तुम हो दीवानी
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कह दो उसको  जो कहना है 
हया वैसे अपना गहना है 
उसको दिल का हाल बताओ
समय चुकी पुनि का पछतानि 
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Kya batlaaoon meri baate
Vahi purani meri kahani
Chodo meri tum batlao 
Kaise beeti raat suhani

Sapne dekhe apne dekhe 
Ya pario ki koi kahani 
Kya vo bhi aaya milne 
Jiske lie tum ho deewani

Keh do us se jo kehna hai
Haya vaise to gehna hai
Usko dil ka hall batlaoo
Samay chooki pooni ka pachtani 
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बुधवार, 17 सितंबर 2014

Please Smile

I simple one
Wants none
From life
Why to create
False Hpye
Networking i do
Not from mobile
I love to give
Every face Smile
Like a crazy child
This epoch going
Really Vary bad
Every where
I find bloodshed
Knife, gun now fun
stop it in a while
Please smile
-------Shiv Raj -----------

मंगलवार, 16 सितंबर 2014

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मोबाइल /Mobile
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हर हाथ में आजकल जो  मोबाइल हो गए ।
Har haath mein aajkal जोjo mobile ho gayee
सरहदों के दायरे तक बेमानी हो गए ।
Sarhadon ke daayre tak bemani ho gayee
दिल की बातें बहुत दूर तक जाने लगी ।
Dil ki baatein bhaut door tak jaane lagi.
परदेसी तो जैसे कोई पडोसी हो गए ।
Pardesi to jaisee koi padosi ho gayee.
क्या हुआ जो कभी मिलना न हो सका ।
Kya hua jo kabhi milna na ho saka.
Mil ke apno se hum kai baar ro gayee
मिल के अपनों से हम कई बार रो गए ।
****शिवराज *****

रविवार, 14 सितंबर 2014

मैं किस भाषा में समझाऊँ दिल की बात तुम्हे ।
आँखों की शब्दावली से तुम बिलकुल अनजान हो ।
या तो जान कर भी मुझे समझती नहीं ।
या किसी छोटे बच्चे सी नादान हो ।
मैंने कभी देखी नहीं इस उम्र की वो लडकियां ।
जिन के दिल में पलते नहीं इश्क के अरमान हो ।
दो मीठे शब्द तुम बोल दो गर मुझे ।
तो मुझपे तमाम उम्र का एहसान हो ।
डर है की तुम ये जानती हो या नहीं ।
डर नहीं की इश्क मेरा कहीं नाकाम हो ।
******शिवराज********