शुक्रवार, 30 जनवरी 2015

रास्ता



मेरा दिल तो गॉव खुली हवेली है ।
जहाँ हसरतें पली बड़ी खेली हैं ।

बस एक कच्चा रास्ता  शहर जाता है ।
जो उस पे गया लौट के न आता है ।

मेरा दिल क्यों बेक़रार है अभी 
मुझे पता नहीं क्यों इंतज़ार है अभी 

निगाहें उसी कच्चे रास्ते पर 
सारा दिन टकटकी लगाए रहती हैं 

जिस पे किसी के आने के निशां 
आज तक पड़े ही नहीं हैं कभी।
~~~~~शिवराज~~~~~~~~

मंगलवार, 27 जनवरी 2015

जख्म्


मैंने जिंदगी में टूटते दिल के सारे वहम देखे हैं । 
यहाँ तो दुश्मन ही नहीं दोस्त भी जख्म देतें हैं ।

दर्द हद से गुज़र जाता है अक्सर उस लम्हा।
मासूमियत से वो जब न रोने की कसम देते हैं ।

मैं इरादा करता हूँ दूर जाने का, क्यूं तभी ।
पास आओ, मुस्कुरा कर मेरे सनम कहते हैं ।

यूं तो मिलते हैं कई लोग तसल्ली देने वाले ।
भूल जा, कह के बस पीठ पे थपकी देते हैं ।

बड़ी चाहत है, सपनों की, सूनी निगाहों को ।
अक्सर खुली आँखों से ही हम झपकी लेते हैं ।
~~~~~~शिवराज शर्मा~~~~~~~

मंगलवार, 20 जनवरी 2015

ढूंढता हूँ


मैं गम में भी ख़ुशी का सबब ढूंढता हूँ ।
जिन्दा हूँ जिंदगी का मकसद ढूंढता हूँ ।

फ़साने तो बनते रहेंगे चर्चे भी होते रहेंगे ।
मैं दीवाना हूँ बेखुदी हो बेखुद ढूंढता हूँ ।

अंजाम एक ही है हर एक आदमी का ।
रहूँ जिन्दा दिलों में कोई सबब ढूंढता हूँ ।

कोई अच्छा सच्चा मनमीत मिल जाए ।
मैं तो बस चीज़े ऐसी गज़ब ढूंढता हूँ ।
~~~शिवराज~~~~

मंगलवार, 13 जनवरी 2015

अंजाम


सज़दे में सर झुकाया ये अंजाम हो गया ।
एक पल में उसका दिल पाषाण  हो गया ।
आँख भर सी आयी जब उसकी बात पर ।
मासूमियत से पुछा अब तुझे क्या हो गया ।

****शिवराज******

गुरुवार, 8 जनवरी 2015

मैं जानू या तू जानें


मुझे तुझसे मुहब्बत है ये तू जाने जहाँ जानें ।
तुझे मुझसे उल्फ़त है ये मैं जानू खुदा जाने ।
इनकार या इकरार का कोई मसला नहीं है ।
बात दिल की दिल से है ये मैं जानू या तू जाने ।
~~~~शिवराज~~~~~

मंगलवार, 6 जनवरी 2015

खुदा


खुदा हंसी में मिलता है है मुस्कराहट में मिलता है ।

कोई अकेला हो तो उसको हर आहट में मिलता है ।
मिलता नहीं है अक्सर ढूँढने जाओ अगर उसे ।
वो दिल में रहता है जज्बात की बनावट में मिलता है .
~~~~~शिवराज~~~~~~

शुक्रवार, 2 जनवरी 2015

जान की कीमत


बेहद सर्द रात में
रैन बसेरे के अंदर
मनाता है कोई
नव वर्ष ठिठुर कर
कोई पांच सितारा में 
रंगीन रोशनियों से चमकता
अंग्रेजी धुन पर थिरक कर

बेहद सर्द रात में
रैन बसेरे के अंदर
कोई बड़बड़ा रहा है
जीवन की निराशा से
कोई पांच सितारा में
कुछ पैग लगा कर

बेहद सर्द रात में
रैन बसेरे के अंदर
ठण्ड से मर गया वो
भूखा था कल से जो
पांच सितारा के बाहर 
नशे में जान गयी
उसकी कार ठुक गयी

बेहद सर्द रात में
रैन बसेरे के अंदर
अगले दिन मातम है
उनमे आज एक कम है
और पांच सितारा में 
फिर मस्ती का आलम है
नहीं दीखता कोई गम है

बेहद सर्द रात में
अपने घर के अंदर 
सोच रहा हूँ 
कैसी विडम्बना है
रैन बसेरा या पांच सितारा
जान की कीमत बहुत कम है ।

----शिवराज-----

गुरुवार, 1 जनवरी 2015

नया साल

नया साल सभी के जीवन में खुशिओं की नई नई सौगात लाये ऐसी मेरी मंगलकामनाए है ।
शुभ नव वर्ष
शिवराज