रविवार, 21 जून 2015

अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर एक आलेख

चित्र: अमित भारद्वाज

आज अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सब को शुभकामनाएं देना चाहता हूँ ।निश्चित ही देश के नूतन इतिहास में एक नया अध्ध्याय है ।
योग एक तरह का समग्र व्यायाम है । शरीर का मन का दिमाग का । योग नियमित करने वाले अपने को स्वस्थ्य महसूस करते है । 
बहुत साम्य के बाद यह देखने में आया की भारत वर्ष की इस धरोहर को पूरे विश्व् ने सह्रदय अपनाया । देश का नेतृत्व इस के लिए बधाई का पात्र है । 
इस बार एक और अच्छी बात हुई है । योग से सम्बंधित विवाद बड़े ही अच्छे तरीके से सुलझाए गये और देश के सभी लोगों ने धर्म जाती से ऊपर उठ कर इस देश के सही स्वरुप (विविधता में एकता) का परिचय दिया ।
सभी इस बात से अवगत है की भारत में योग को आगे बढ़ाने का काम बाबा रामदेव ने किया । बाबा रामदेव को घर घर में जाना जाता है । बाबा रामदेव एक मात्र वो शख्स नहीं है जिन्होंने योग को आगे बढ़ाया है ।देश के इतिहास में कई योग गुरु रहे हैं । श्री बी के एस अयंगर देश के वो महान योग गुरु रहे है जिनको श्रेय है भारत के योग को विश्व भर में पहुचाने का। इनका खुद का एक योग है जिसे अयंगर योग कहा जाता है । इसके अलावा श्री के पट्टाभी, श्री महेश योगी ,स्वामी शिवानंद ,परमहंस योगानंद, श्री जग्गी वासुदेव और बिक्रम चौधरी कुछ अन्य मह्त्वपूर्ण नाम है । भारत में कम ही लोगो को पता होगा की श्री तिरुमालाई कृष्णमचर्या को अक्सर नूतन योग का जनक (fathar of Modern yoga) कहा जाता है ।
मेरा असल उद्देश्य ये है की देश के लोग इन गुरुओं के बारे में भी जाने जो कम ही जाने जाते है । इंटरनेट इसका एक उपयुक्त माध्यम है ।

योग के बारे में एक सावधानी रखने की बात कहना चाहुँगा । बहुत से लोग ये दावा करते है की कई असाध्य बीमारी जैसे डाइबिटीज़ ,कैंसर ,डेंगू,  स्वाइन फ्लू आदि योग करने से ठीक हो जाते हैं । मैं एक चिकित्सक होने के नाते ये जानता हूँ की ये संभव नहीं है । सो अपने विवेक और तर्क पर ऐसे दावों को परखते रहे ।
योग करें स्वस्थ्य रहे ।
------शिवराज---

शनिवार, 13 जून 2015

मैं शायर नहीं हूँ


मैं शायर नहीं हूँ, बस ऐसा लगता है दोस्तों ।

के मेरी बातों में दर्दे दिल झलकता है दोस्तों ।

तुम छुपा जाते हो दर्द, या है ही नहीं कोई ।

मैं तो दिखा देता हूँ मेरे सारे ज़ख्म दोस्तों ।

----शिवराज--------

मंगलवार, 9 जून 2015

सच


जिंदगी का सच से सामना हो रहा है ।
प्यार बाकी तो है पर कम हो रहा है ।

जिसने कहा था मैं तुम पे मर मिटी हूँ ।
लगता है उसका दूजा जनम हो रहा है ।

कोंपल से जो धीरे धीरे वृक्ष बन गया था ।
शाख दर शाख अब कलम हो रहा है ।

अभी तक खुशियों की ही नमी चखी थी ।
नयनो को अब दर्द का खारापन धो रहा है ।

मैं जब अपने आप को हस्ती समझता था ।
भूल जाऊं वो सब दिन बड़ा मन हो रहा है ।

मेरे बस में नहीं कुछ, जो होगा वो होगा ।
अब छोड़ दिया सोचना क्या हो रहा है ।

------शिवराज------