मंगलवार, 28 अप्रैल 2015

जलजला


इंसान को अपनी औकात दिखा गया ।
हल्का सा जलजला जो धरती पे आगया ।

आज बिलकुल सही मौका ये सोचने का है ।
क्या किसके साथ आया है और क्या गया ।

अपने बच्चों पे कहर ढाने का मकसद होगा ।
धरती माँ को इसमें कौन सा मज़ा आगया ।

~~~~~शिवराज

शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015

मौत का हक़दार


वो यक़ीनन ही मौत का हक़दार था ।
जो अपनों की बेरुखी का शिकार था ।

बेटा बहु पोता पोती चाहे पूछते न थे ।
वैसे उसका एक भरा पूरा परिवार था ।

सारी उम्र लगाई थी जिसने घर के वास्ते ।
उसका बस गैराज पर ही अधिकार था ।

मैं मिला था कुछ दिन पहले जब उसे ।
हंस के बोला था के जिंदगी से बेज़ार था ।

~~~शिवराज

मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

ख़ुशनुमा


जान लो मैं हर वक़्त खुशनुमा क्यों होता हूँ ।

अपने चेहरे को नयन के नीर से मैं धोता हूँ ।
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हो गया प्रवाह पीड़ा का अब इतना अधीर । 

अक्सर अकेले में मैं गम का दरिया होता हूँ ।
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सब कुछ पाकर भी क्यों ग़मज़दा है पूछा गया ।

क्या कहूँ तुमको मैं हर पल क्या क्या खोता हूँ ।
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सुना है तेरी परवाह है इस ज़माने को राज़ ।

सुनी हुई बातों पे मैं अब भी क्यों खुश होता हूँ ।
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शिवराज