This blog is a collection of my writings. I write whatever comes in my mind
शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015
मौत का हक़दार
वो यक़ीनन ही मौत का हक़दार था । जो अपनों की बेरुखी का शिकार था । बेटा बहु पोता पोती चाहे पूछते न थे । वैसे उसका एक भरा पूरा परिवार था । सारी उम्र लगाई थी जिसने घर के वास्ते । उसका बस गैराज पर ही अधिकार था । मैं मिला था कुछ दिन पहले जब उसे । हंस के बोला था के जिंदगी से बेज़ार था । ~~~शिवराज
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें