मंगलवार, 17 फ़रवरी 2015

रात का दर्द



मैं हूँ रात 
बड़ी बेमानी सी 
हो गयी हूँ आजकल 
किसी को भी 
पहले की तरह् 
अब इंतज़ार नहीं है
मेरा 
अब तो काले कारनामे तक 
दिन के उजाले में 
होने लगे हैं 
अँधेरे अपना अस्तित्व 
बिजली की रौशनी में
कहीं खोने लगे हैं 
---शिवराज------

शनिवार, 14 फ़रवरी 2015

सौदा



वो इश्क़ में भी सौदेबाज़ी लगाना चाहता था ।
सिर्फ एक नज़र में अपना बनाना चाहता था ।

मुझको मालूम था दुनियां का चलन पहले से ।
वो तो मुझको ठग के चले जाना चाहता था ।

दिल दो तो बात आगे बढ़ाओ मैंने जब कहा ।
हँस के बोला मैं बस जलवा दिखाना चाहता था ।
-----शिवराज----

शनिवार, 7 फ़रवरी 2015

बाज़ीगरी



हवा में कुछ ऊंचाई पर
सिर्फ एक छड़ी के संतुलन से
रस्सी पे चलने की बाजीगरी
आती है उन बच्चों को ।
जिन कदम स्कूल तक
जा नहीं पाये कभी ।
तालियां बजाओ उनके लिए ।
मगर ये शानदार खेल
कभी ख़त्म हुआ ही नहीं ।
----शिवराज------

बुधवार, 4 फ़रवरी 2015

जिंदगी पर



मुझको बदला जिंदगी ने आहिस्ता आहिस्ता ।
एक तू था की पल में बदल डाली थी जिंदगी ।

मैंने जिंदगी जी है बच्चों के खिलौने की तरह ।
सब को हँसाने के बाद तोडा गया बुरी तरह् ।

ये सोचने की मुझे न जाने क्या मजबूरी है ।
जीना जरुरी है या के फिर जिंदगी जरुरी है ।

मैं ये मान लूँगा की जिंदगी एक सफ़र है ।
मगर शुरुआत कहाँ है और अंत किधर है ।
----शिवराज---