This blog is a collection of my writings. I write whatever comes in my mind
मंगलवार, 17 फ़रवरी 2015
रात का दर्द
मैं हूँ रात बड़ी बेमानी सी हो गयी हूँ आजकल किसी को भी पहले की तरह् अब इंतज़ार नहीं है मेरा अब तो काले कारनामे तक दिन के उजाले में होने लगे हैं अँधेरे अपना अस्तित्व बिजली की रौशनी में कहीं खोने लगे हैं ---शिवराज------
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