मैंने जिंदगी में टूटते दिल के सारे वहम देखे हैं ।
यहाँ तो दुश्मन ही नहीं दोस्त भी जख्म देतें हैं ।
दर्द हद से गुज़र जाता है अक्सर उस लम्हा।
मासूमियत से वो जब न रोने की कसम देते हैं ।
मैं इरादा करता हूँ दूर जाने का, क्यूं तभी ।
पास आओ, मुस्कुरा कर मेरे सनम कहते हैं ।
यूं तो मिलते हैं कई लोग तसल्ली देने वाले ।
भूल जा, कह के बस पीठ पे थपकी देते हैं ।
बड़ी चाहत है, सपनों की, सूनी निगाहों को ।
अक्सर खुली आँखों से ही हम झपकी लेते हैं ।
~~~~~~शिवराज शर्मा~~~~~~~
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