This blog is a collection of my writings. I write whatever comes in my mind
रविवार, 30 नवंबर 2014
व्यथा
ज्ञात है सीमाएं मुझे अपनी । ज्ञात है सीमाऐं मुझे उसकी । मेरी सीमाए छु सकती है उसकी सीमाओ को । उस की सीमाओं की परिधि के अंदर जाना मुझे सख्त मना है, अपनी सीमाएं तोड़ कर । बस इंतज़ार कर सकता हूँ सीमाये टूटने का या तो मेरी या उसकी । मैंने सुना है सीमाएं टूटती हैं । ~~~~शिवराज~~~~~
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