सोमवार, 3 नवंबर 2014

चोट /Chot

चोट गैरों से खाई तो संभल गए हम
चोट अपनों से खाई तो बदल गए हम
बदलते संभलते हर एक चोट से 
आहिस्ता आहिस्ता निखर गए हम 
---------शिवराज---------------

Chot gairo se khai to sambhal 
gayee hum
Chot apno se khai to badal gaye 
hum
Badelte sambhalte har ek chot se
Aahista  Aahista nikhar gaye hum
------------Shivraj--------------

कोई टिप्पणी नहीं: