साधू संत महंत, महिमा अनंत
समझो तो कोई, कौन है छुपा
किस भेष, किस परिवेश में
किस काल में, किस देश में
भक्त अनंत, भक्ति अनंत
उनके साथ फिर छल अनंत
चोट समाज पर, घाव अनंत
जब विश्वास टूटे, राह छूटे
नज़र में फ़ेर आये अनंत
पाखंड एक दिन होता अंत
इसलिए चाहिए हर मनुज
जाने समझे और परखे
के कौन संत , कैसा है संत
जंगल जंगल, बाग़ बाग़
घूमते फिरते तमाम नाग
कुछ जकड़े फंदा कस मारे
कुछ यूं ही फन फैलाये बेचारे
और कुछ के होते विषदंत
पहचानो इनको कौन सा है
तब ही खेलो इनके संग
----शिवराज--------
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