शनिवार, 20 सितंबर 2014

सुबह नई ख्वाब कई

सुबह नई, ख्वाब कई ।
देखना अच्छा लगता है ।
फिर आम आदमी
रोज़ी के लिए
दौड़ने लगता है ।
रोज़ी कोई लड़की नहीं है ।
अरे रोज़ी मतलब
काम, धंधा, मजदूरी ।
जिस को करने से
रोटी, कपडा ,मकान
का होता है इंतजाम ,
और आम आदमी
बन जाता है फिर से
ख्वाब देखने लायक ।
फिर नई सुबह
नये ख्वाब ।
आप तो बड़े आदमी हो ।
हो न ?
क्या समझोगे आप ।

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