किस्मत में गर
मिलना नहीं है
तो प्यार क्यों हैं
हर एक आशिक को
अपने इश्क पे
इतना एतबार क्यों है
इश्क गुनाह है तो
हर इंसान के दिल में
किसी न किसी के लिए
प्यार क्यों हैं
कुछ नहीं लगता कोई
फिर भी जां उस पे
होती निसार क्यों है
किस्मत में गर
तेरा मिलना नहीं है
मगर कोई है शायद
कहीं है
****शिवराज*****
मिलना नहीं है
तो प्यार क्यों हैं
हर एक आशिक को
अपने इश्क पे
इतना एतबार क्यों है
इश्क गुनाह है तो
हर इंसान के दिल में
किसी न किसी के लिए
प्यार क्यों हैं
कुछ नहीं लगता कोई
फिर भी जां उस पे
होती निसार क्यों है
किस्मत में गर
तेरा मिलना नहीं है
मगर कोई है शायद
कहीं है
****शिवराज*****
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