सोमवार, 29 सितंबर 2014

मिलना

किस्मत में गर
मिलना नहीं है
तो प्यार क्यों हैं
हर एक आशिक को
अपने इश्क पे
इतना एतबार क्यों है
इश्क गुनाह है तो
हर इंसान के दिल में
किसी न किसी के लिए
प्यार क्यों हैं
कुछ नहीं लगता कोई
फिर भी जां उस पे
होती निसार क्यों है
किस्मत में गर
तेरा मिलना नहीं है
मगर कोई है शायद
कहीं है
****शिवराज*****

कोई टिप्पणी नहीं: