अँधेरा जरा गहरा है
वक़्त अभी ठहरा है
लौट आना मुश्किल हैं
दिल का घाव गहरा है
रौशनी से मिल तो लेता
सूरज पे मगर पहरा है
बड़ी मिन्नत की मैंने
खुदा शायद बहरा है
****-शिवराज
वक़्त अभी ठहरा है
लौट आना मुश्किल हैं
दिल का घाव गहरा है
रौशनी से मिल तो लेता
सूरज पे मगर पहरा है
बड़ी मिन्नत की मैंने
खुदा शायद बहरा है
****-शिवराज
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