This blog is a collection of my writings. I write whatever comes in my mind
गुरुवार, 11 दिसंबर 2014
मुसाफिर
बेखबर था तेरे शहर का मुसाफिर बाख़बर नहीं था उस रस्ते पे चल पड़ा जिसपे तेरा घर नहीं था दीवानगी घुमाती फिरती रही उसको हर तरफ होश आया तो देखा वो जहाँ से चला वहीँ था ~~~~~शिवराज~~~~~~~~~~
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