ये क्या कुकृत्य किया
तेरी आत्मा क्या मर गयी
देख कर ये द्रश्य आज
मौत भी सिहर गयी
हैवानियत की हद से आगे
आज तू निकल गया
दर्द मिला दुनियां को
अरे तुझको क्या मिल गया
हर आँख नम हुई
हर होंठ सील गया
हर मुट्ठी कस गयी
हर चेहरा भींच गया
हर एक मासूम जो
कल खुदा के घर गया
तेरा विनाश करना है
ये ही कह कर गया
शर्मसार है हम यहाँ
जो इतना कुछ घट गया
शिक्षा का एक मंदिर
लाशों से पट गया
तेरी हिम्मत यूं हुई
की आदमी था बंट गया
देख कर दरिंदगी
लेकिन अब सिमट गया
खैर तू मना ले अब
तेरा अंत है निकट
साथ है अब सारी दुनियां
बस अब तू तो गया
~~~शिवराज~~~
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें