गुरुवार, 4 दिसंबर 2014

देखते हैं


जब भी देखते हैं क्या बात देखते हैं
हसींन और हंसी एक साथ देखते हैं
अच्छे से देखी है हमने सारी दुनियां
तुझ में कुदरत की करामात देखते हैं
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तेरी हस्ती ने ही निखारी है ये दुनियां
बड़ी ही खूबसूरत और प्यारी दुनियां
मेरी दुनियां है अब तुम्हारी दुनियां
अब जिंदगी हम तेरे साथ देखते हैं
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तू है मौजूद तो कुछ है मेरा वजूद
वरना जीने की तम्मना कहाँ थी
अब मरने से डर मुझको लगे है
हम अपने बदलते जज़्बात देखते हैं
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तू मिला है तो जैसे कहीँ खो गया मैं
क्या था और क्या हो गया हूँ मैं
अब तो कहने लगे हैं मेरे अज़ीज़
तुझे आज कल बहुत कम देखते हैं

~~~~~शिवराज~~~~~~~

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