This blog is a collection of my writings. I write whatever comes in my mind
सोमवार, 29 दिसंबर 2014
रविवार, 28 दिसंबर 2014
शनिवार, 20 दिसंबर 2014
गुरुवार, 18 दिसंबर 2014
मैं आज क्या बात लिखूँ
देश के हालात लिखूँ
पडोसी के हादसात लिखूँ
दर्द के एहसास लिखूँ
आदमी की औकात लिखूँ
प्रेम की कोई पात लिखूँ
मन की कोई बात लिखूँ
धर्म का प्रचार लिखूँ
नया कोई विचार लिखूँ
कुदरत की करामात लिखूँ
हर रोज़ की मुश्किलात लिखूँ
अनसुलझे सवालात लिखूँ
मस्ती का कोई राज़ लिखूँ
बच्चों की कहानी लिखूँ
गरीब की जवानी लिखूँ
क्या लिखूँ निर्भया को
या दुल्हन की हया को
ज़रा मुझे सोचने दो
मैं आज क्या बात लिखूँ
-----शिवराज शर्मा ----
बुधवार, 17 दिसंबर 2014
पेशावर हादसे पर तालिबान को
ये क्या कुकृत्य किया
तेरी आत्मा क्या मर गयी
देख कर ये द्रश्य आज
मौत भी सिहर गयी
हैवानियत की हद से आगे
आज तू निकल गया
दर्द मिला दुनियां को
अरे तुझको क्या मिल गया
हर आँख नम हुई
हर होंठ सील गया
हर मुट्ठी कस गयी
हर चेहरा भींच गया
हर एक मासूम जो
कल खुदा के घर गया
तेरा विनाश करना है
ये ही कह कर गया
शर्मसार है हम यहाँ
जो इतना कुछ घट गया
शिक्षा का एक मंदिर
लाशों से पट गया
तेरी हिम्मत यूं हुई
की आदमी था बंट गया
देख कर दरिंदगी
लेकिन अब सिमट गया
खैर तू मना ले अब
तेरा अंत है निकट
साथ है अब सारी दुनियां
बस अब तू तो गया
~~~शिवराज~~~
मंगलवार, 16 दिसंबर 2014
सोमवार, 15 दिसंबर 2014
शनिवार, 13 दिसंबर 2014
गुरुवार, 11 दिसंबर 2014
कुछ भी हो सकता है
खोटा सिक्का भी कहीं चल सकता हैं
उसको ज्यादा सोचना अच्छा नहीं
कभी कोई ख्वाब पल भी सकता है
हर आदमी को शक के दायरे में रखो
कोई भी कुछ भी निकल सकता है
कभी देखा भी है इंसान को रंग बदलते
यूं ही गिरगिट को माहिर समझ रखा है
दुनियां में जीने की अदा को ऐसे समझो
जैसे पानी माटी के साँचे में ढल सकता है
~~~~~शिवराज~~~~~~~~~
सोमवार, 8 दिसंबर 2014
गुरुवार, 4 दिसंबर 2014
देखते हैं
जब भी देखते हैं क्या बात देखते हैं
हसींन और हंसी एक साथ देखते हैं
अच्छे से देखी है हमने सारी दुनियां
तुझ में कुदरत की करामात देखते हैं
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तेरी हस्ती ने ही निखारी है ये दुनियां
बड़ी ही खूबसूरत और प्यारी दुनियां
मेरी दुनियां है अब तुम्हारी दुनियां
अब जिंदगी हम तेरे साथ देखते हैं
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तू है मौजूद तो कुछ है मेरा वजूद
वरना जीने की तम्मना कहाँ थी
अब मरने से डर मुझको लगे है
हम अपने बदलते जज़्बात देखते हैं
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तू मिला है तो जैसे कहीँ खो गया मैं
क्या था और क्या हो गया हूँ मैं
अब तो कहने लगे हैं मेरे अज़ीज़
तुझे आज कल बहुत कम देखते हैं
~~~~~शिवराज~~~~~~~
मंगलवार, 2 दिसंबर 2014
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