सोमवार, 29 दिसंबर 2014

काश


जैसे कुछ न मिला हो पाकर भी बहुत कुछ ।
काश एक तू मिलता और कुछ न मिलता ।
---शिवराज----

रविवार, 28 दिसंबर 2014

ख़ामोशी


कुछ कहते कहते खामोश रह गया ।
आँख में रुका हुआ मोती बह गया ।
किसी को जरा सी खबर भी न हुई ।
वो शख्स जाने क्या क्या सह गया ।
____शिवराज______

शनिवार, 20 दिसंबर 2014

मुश्किल


खामोश रह के सब बताते हो ।
दर्द सहते रहते हो या सताते हो ।
मुश्किल में तुम भी हो मैं भी ।
देखना है डुबोते हो या तराते हो ।
-----शिवराज---------

गुरुवार, 18 दिसंबर 2014

मैं आज क्या बात लिखूँ


देश के हालात लिखूँ 
पडोसी के हादसात लिखूँ 

दर्द के एहसास लिखूँ 
आदमी की औकात लिखूँ 

प्रेम की कोई पात लिखूँ 
मन की कोई बात लिखूँ 

धर्म का प्रचार लिखूँ 
नया कोई विचार लिखूँ

कुदरत की करामात लिखूँ 
हर रोज़ की मुश्किलात लिखूँ 

अनसुलझे सवालात लिखूँ 
मस्ती का कोई राज़ लिखूँ 

बच्चों की कहानी लिखूँ 
गरीब की जवानी लिखूँ 

क्या लिखूँ निर्भया को
या दुल्हन की हया को

ज़रा मुझे सोचने दो 
मैं आज क्या बात लिखूँ 

-----शिवराज शर्मा ----

बुधवार, 17 दिसंबर 2014

पेशावर हादसे पर तालिबान को


ये क्या कुकृत्य किया
तेरी आत्मा क्या मर गयी
देख कर ये द्रश्य आज
मौत भी सिहर गयी
हैवानियत की हद से आगे
आज तू निकल गया
दर्द मिला दुनियां को
अरे तुझको क्या मिल गया
हर आँख नम हुई
हर होंठ सील गया
हर मुट्ठी कस गयी
हर चेहरा भींच गया
हर एक मासूम जो
कल खुदा के घर गया
तेरा विनाश करना है
ये ही कह कर गया
शर्मसार है हम यहाँ
जो इतना कुछ घट गया
शिक्षा का एक मंदिर
लाशों से पट गया
तेरी हिम्मत यूं हुई
की आदमी था बंट गया
देख कर दरिंदगी
लेकिन अब सिमट गया
खैर तू मना ले अब
तेरा अंत है निकट
साथ है अब सारी दुनियां
बस अब तू तो गया
~~~शिवराज~~~

दरवाज़े


दरवाज़े के उस पार 
कोई होता है 
जिसका इंतज़ार 
हमेशा रहता है ।
मैंने देखा है 
लोगों के दिल का 
पिछला दरवाज़ा 
हमेशा खुला रहता है 
~~~शिवराज~~~

मंगलवार, 16 दिसंबर 2014

दर्द का एहसास


दर्द का एहसास जाते जाते जाएगा ।
फिर कोई नया आते आते आएगा ।
पहले सी दीवानगी अब होगी नहीं ।
कोई भायेगा तो भाते भाते भायेगा ।
-------शिवराज----

सोमवार, 15 दिसंबर 2014

इट्स ओके


लोगों ने दिए धोखे
बट इट्स ओके ।
तूने क्यों दिए मौके
सो इट्स ओके
क्या मिलेगा रो के
अरे इट्स ओके
जाग गया तू सो के
तो अब इट्स ओके
-शिवराज-


शनिवार, 13 दिसंबर 2014


जीवन का सफ़र



जीवन एक यात्रा है ।
दुःख तो इस बात का है
ये ऐसी यात्रा जैसे की
भारतीय रेल में होती है ।
जहाँ महीन रह जाता है ।
सफ़र और सफर (suffer) का अंतर
अगर जीवन एक सैर होती
तो शायद अच्छा रहता ।
किसी हरे भरे बाग़ में जैसे
सुबह की ताज़गी भरी सैर ।
~~~~~~शिवराज~~~

गुरुवार, 11 दिसंबर 2014

मुसाफिर

बेखबर था तेरे शहर का मुसाफिर बाख़बर नहीं था
उस रस्ते पे चल पड़ा जिसपे तेरा घर नहीं था
दीवानगी घुमाती फिरती रही उसको हर तरफ
होश आया तो देखा वो जहाँ से चला वहीँ था
~~~~~शिवराज~~~~~~~~~~

कुछ भी हो सकता है


वक़्त की इच्छा है वो बदल सकता है
खोटा सिक्का भी कहीं चल सकता हैं
उसको ज्यादा सोचना अच्छा नहीं
कभी कोई ख्वाब पल भी सकता है
हर आदमी को शक के दायरे में रखो
कोई भी कुछ भी निकल सकता है
कभी देखा भी है इंसान को रंग बदलते
यूं ही गिरगिट को माहिर समझ रखा है
दुनियां में जीने की अदा को ऐसे समझो
जैसे पानी माटी के साँचे में ढल सकता है
~~~~~शिवराज~~~~~~~~~

सोमवार, 8 दिसंबर 2014

कुछ बातें



पूछा जो मुझसे किसी ने बता क्या तेरे ख्वाब हैं ।
मैं बोला ख्वाब में भी वही है जिनके मुझे ख्वाब हैं ।
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मुझसे पुछा जो किसी ने क्या तुम्हारे ख्वाब हैं ।
हँसते हुए कहा अब ख्वाब ही तो मेरे ख्वाब हैं ।
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शिवराज

शनिवार, 6 दिसंबर 2014

मेरे दिल के खिड़की दरवाज़े तो तब से बंद हैं
जब से अंदर आकर उसने कुंडी लगा दी थी
~~~~~शिवराज~~~~~~~

गुरुवार, 4 दिसंबर 2014

देखते हैं


जब भी देखते हैं क्या बात देखते हैं
हसींन और हंसी एक साथ देखते हैं
अच्छे से देखी है हमने सारी दुनियां
तुझ में कुदरत की करामात देखते हैं
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तेरी हस्ती ने ही निखारी है ये दुनियां
बड़ी ही खूबसूरत और प्यारी दुनियां
मेरी दुनियां है अब तुम्हारी दुनियां
अब जिंदगी हम तेरे साथ देखते हैं
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तू है मौजूद तो कुछ है मेरा वजूद
वरना जीने की तम्मना कहाँ थी
अब मरने से डर मुझको लगे है
हम अपने बदलते जज़्बात देखते हैं
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तू मिला है तो जैसे कहीँ खो गया मैं
क्या था और क्या हो गया हूँ मैं
अब तो कहने लगे हैं मेरे अज़ीज़
तुझे आज कल बहुत कम देखते हैं

~~~~~शिवराज~~~~~~~

मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

एक बात/ Ek Baat


गम ढूँढोगे तो गम ही मिलेगा
ख़ुशी ढूँढोगे तो ख़ुशी मिलेगी
तलाश किसकी है ये तय करो
वो आज नहीं तो कल मिलेगी
~~~~~ शिवराज~~~
Gum dhoondhoge togum hi milega
Khushi dhoondhige to khushi milegi
Talash kiski hai ye tay kero
Vo aaj nahi to kal milegi

~~~~~Shivraj~~~~~~~