मुहब्बत हो गयी की न थी
सुकूँ खोना किसको पसंद है
बड़ी कमी है प्यार की यहाँ
सब के सब जरुरतमंद है
मेरे प्यार की गहराई को
गर समझना चाहता है वो
कह दो बाहों में आजाये
वरना तो बस साँसे चंद है
इत्तेफ़ाकन मिल गयी थी
मेरी और उसकी नज़र
उस पल से ही वो मेरी
पहली और आखरी पसंद है
मैं रोज़ उसकी गली से
गुज़रता जरूर हूँ
नज़र आता नहीं कभी भी
शायद वो नज़रबंद है
__शिवराज___
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