मंगलवार, 25 अगस्त 2015

सुप्रभात


अपनी जिंदगी रोज़ कुछ इस तरह शुरू होती है मित्रो 
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सुबह की पहली रश्मि के साथ 
आज फिर झगड़ा हुआ 
छोड़ना ही पड़ा बिस्तर मुझे 
अंतिम ये फ़ैसला हुआ 
एक कप चाय की प्याली ने 
आँखों में रौशनी भर दी 
और फिर स्नान ने 
भरपूर ताज़गी कर दी 
फिर किया मैंने नाश्ता 
अक्सर करता हूँ मैं दौड़ता भागता 
मन प्रसन्न है काम पे जाता हूँ 
आप सब मित्रो का दिन शुभ हो 
दिल से कहना चाहता हूँ 
सुप्रभात
-------------शिवराज

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