शुक्रवार, 31 जुलाई 2015

फाँसी

फांसी, बड़ी कड़ी सजा है ।
सभ्य समाज में 
इस तरह की कठोर सजा 
और फिर इस सजा का
फायदा न हो तो क्या मजा 
कहो कौन से अपराध होना
किसी सजा से रुके है 
बात तो सही है 
मगर जिसने भी कही है 
उसका कोई मरा है क्या 
किसी बम धमाके में 
या आतंक की गोली से 
हम नहीं समझ सकते 
की जब किसी की जान
इस तरह जाती है 
तो उसकी माँ को 
कितनी रुलाई आती है 
बाप के कितने आंसू सूखते है 
और कितनी चूड़िया 
उसकी पत्नी टूट जाती है 
इन्होंने कभी सोचा है
उसके बच्चों का क्या होता है 
किस तरह जिंदगी निकलती है ।
उनके पास जानकारी कहाँ
बिन बाप की बच्चियां कैसे पलती है 
फांसी अपराध को शायद न रोक पाये 
मगर इन सब के मन को 
थोड़ी शांति देती है 
जो सबसे जरूरी है 
इस लिए फाँसी की सजा भी
बहुत जरुरी है 
---शिवराज-----

कोई टिप्पणी नहीं: