This blog is a collection of my writings. I write whatever comes in my mind
मंगलवार, 17 फ़रवरी 2015
शनिवार, 14 फ़रवरी 2015
शनिवार, 7 फ़रवरी 2015
बुधवार, 4 फ़रवरी 2015
जिंदगी पर
मुझको बदला जिंदगी ने आहिस्ता आहिस्ता ।
एक तू था की पल में बदल डाली थी जिंदगी ।
मैंने जिंदगी जी है बच्चों के खिलौने की तरह ।
सब को हँसाने के बाद तोडा गया बुरी तरह् ।
ये सोचने की मुझे न जाने क्या मजबूरी है ।
जीना जरुरी है या के फिर जिंदगी जरुरी है ।
मैं ये मान लूँगा की जिंदगी एक सफ़र है ।
मगर शुरुआत कहाँ है और अंत किधर है ।
----शिवराज---
सदस्यता लें
संदेश (Atom)