रविवार, 22 मार्च 2015

सपने

रात जिसकी ख्वाहिश की थी सपनो में ।
आया था कोई और उसके भी सपनो में ।

ये जिंदगी है प्यारे खुली आँख से देखो ।
न जाने कितने गैर होंगे तेरे ही अपनों मैं ।
~~~~शिवराज~~~~~~~~~

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