सोमवार, 23 मार्च 2015

शहीदे आज़म और साथियों को शत् शत् नमन

एसम्बली का वो छोटा सा धमका ।
आवाज़ धुँआ और उड़ते हुए कागज़ ।
और एक अफ़रातफ़री हर तरफ़ ।
इस सब का फायदा उठा कर ।
वो फ़रार होते हुए नहीं दीखे
हथकड़ी पड़ी हाथों में
पहुचे सलाखों के पीछे ।
बचने की ग़रज़ से
न किया कभी अपने सर को नीचे ।
झूठे आरोपो का खुद सामना किया ।
और साथ बटुकेश्वर दत्त ने पूरा दिया ।
जेल में अन्न त्याग कर लोहा जता दिया ।
इस देश की माटी को
खुली हवा का एहसास करा दिया ।
बातों का ढोल पीटना पसंद नहीं था ।
लेकिन उसके ज्ञान का कोई अंत नहीं था
हाँ देवता था, कोई साधारण संत नहीं था
उसकी क्रांति का आधारआतंक नहीं था ।
बेवजह किसी को भी हाथ न लगाता था ।
बस घात का जवाब प्यार से दे न पाता था ।
वो तो देश की आज़ादी का परवाना था
नौजवां शेर था वो फंदा उसका ठिकाना था ।
सिंह था वो सिंह कभी मरते नहीं ।
क्या वज़ह है आजकल हम लोग
देश के शहीदों को याद करते नहीं ।
मैं याद तो करता हूँ दोस्तों
पर कभी बताता नहीं
इस बात पे शर्मिंदा हूँ
की सिंह बन पाता नहीं ।
इस बात पे शर्मिंदा हूँ
की सिंह बन पाता नहीं ।
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शहीदे आज़म और साथियों को शत् शत् नमन
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शिवराज 

रविवार, 22 मार्च 2015

सपने

रात जिसकी ख्वाहिश की थी सपनो में ।
आया था कोई और उसके भी सपनो में ।

ये जिंदगी है प्यारे खुली आँख से देखो ।
न जाने कितने गैर होंगे तेरे ही अपनों मैं ।
~~~~शिवराज~~~~~~~~~

बुधवार, 18 मार्च 2015

भूल


एक भूल थी या उसे कोई खता बता दूं ।
क्यों चाहा था मैंने प्यार तुझ पे जता दूं ।

दिल धड़कता था जब से आया दुनियां में ।
जाने क्या सूझी की इसकी कोई वजह दूं ।

कभी कभी आता है ये ख्याल भी मन में । 
तेरी बेरुखी की क्यों खुद को मैं सजा दूं ।

एक बार जो तू सामने आये तो ही पता चले ।
के दिल खोल बददुआ दूं तुझे या के दुआ दूं 
-------शिवराज----

शनिवार, 7 मार्च 2015

होली


लाल गुलाबी रंगो की होली खूब मनाई आप ने ।
क्या कभी दिल की कालिख भी हटाई आप ने ।

कितना गहरा रंग लगाया लेकिन उतर जाएगा ।
ता उम्र खिली रहती जो होती प्रीत लगाई आप ने ।

क्या त्यौहार मनाना सिरफ़ एक दिन के वास्ते ।
सीख़ अग़र बच्चों को इनकी न सिखाई आप ने 
---शिवराज------

बुधवार, 4 मार्च 2015

कहानी




मेरी जिंदगी की बस इतनी सी कहानी है ।
हंसी लब पे झूठी सच आँख का पानी है ।

जिस पे भरोसा होगा तोड़ेगा वही उसको ।
ये बात न समझ आई है और न आनी हैं ।

प्यार इश्क़ वादा वफ़ा इकरार  लगावट । 
ये सारी बाते बस जमाँ खर्च जबानी है ।

एक झूठ को सच जाना कहलाया दीवाना मैं ।
तुम को भी लगा होगा वो मेरी दीवानी है ।

हम साथ साथ खेले हाथों में हाथ ले ले ।
ये बचपन की यादें हैं अब दौर ए जवानी है ।

रुसवा न हो इश्क़ ज़माने में किसी तरह् ।
उल्फ़त की सभी रस्मे मुझको निभानी है ।


जब चाहा पूछना मुह मोड़ने का सबब ।
मुह मोड़ के बोले हम लोग ख़ानदानी हैं।
====शिवराज=======