रंग आज भी उड़ते है
हवाओं में खूब सारे
मगर वो उतने गहरे नहीं होते
बेचारे
जितने होते थे
कुछ साल पहले तक
लोग होली पर भी
अब कहाँ भूलते हैं
दिल की खटास
रिश्तों का कड़वापन
और छोटी मोटी दुश्मनी
जैसे गुलाल में
रंग की मिलावट आती है
वैसे ही मीठी मुस्कान में
खटास छुपाई जाती है
फिर, "बुरा न मानो होली है"
कहा जाता है
कुछ इस अंदाज में
की सुनने वाले का
रक्त प्रवाह बढ़ जाता है
यूँ तो रंग तो पहले से
ज्यादा गहरे मिलते है
बाज़ार में
मगर आ गया हैं
बहुत बदलाव
हमारे आचार में,
विचार में, व्यहार में
बस कहने को
अब भी होली
पहले की तरह ही
जलाई जाती है,
पूरे हर्ष और उल्लास से
मनाई जाती है ?
और मिलावटी मिठाइयाँ
खिलाई जाती है
मगर उम्मीद है जिंदा
की हम बदल पाएंगे
और इस होली पर
सच्चे रंग
एक दूसरे को लगाएंगे
होली मुबारक
*****शिवराज****
हवाओं में खूब सारे
मगर वो उतने गहरे नहीं होते
बेचारे
जितने होते थे
कुछ साल पहले तक
लोग होली पर भी
अब कहाँ भूलते हैं
दिल की खटास
रिश्तों का कड़वापन
और छोटी मोटी दुश्मनी
जैसे गुलाल में
रंग की मिलावट आती है
वैसे ही मीठी मुस्कान में
खटास छुपाई जाती है
फिर, "बुरा न मानो होली है"
कहा जाता है
कुछ इस अंदाज में
की सुनने वाले का
रक्त प्रवाह बढ़ जाता है
यूँ तो रंग तो पहले से
ज्यादा गहरे मिलते है
बाज़ार में
मगर आ गया हैं
बहुत बदलाव
हमारे आचार में,
विचार में, व्यहार में
बस कहने को
अब भी होली
पहले की तरह ही
जलाई जाती है,
पूरे हर्ष और उल्लास से
मनाई जाती है ?
और मिलावटी मिठाइयाँ
खिलाई जाती है
मगर उम्मीद है जिंदा
की हम बदल पाएंगे
और इस होली पर
सच्चे रंग
एक दूसरे को लगाएंगे
होली मुबारक
*****शिवराज****