गुरुवार, 24 मार्च 2016

होली मुबारक

रंग आज भी उड़ते है 
हवाओं में खूब सारे
मगर वो उतने गहरे नहीं होते 
बेचारे
जितने होते थे 
कुछ साल पहले तक
लोग होली पर भी
अब कहाँ भूलते हैं
दिल की खटास
रिश्तों का कड़वापन
और छोटी मोटी दुश्मनी
जैसे गुलाल में
रंग की मिलावट आती है
वैसे ही मीठी मुस्कान में
खटास छुपाई जाती है
फिर, "बुरा न मानो होली है"
कहा जाता है 
कुछ इस अंदाज में 
की सुनने वाले का
रक्त प्रवाह बढ़ जाता है
यूँ तो रंग तो पहले से 
ज्यादा गहरे मिलते है 
बाज़ार में
मगर आ गया हैं 
बहुत बदलाव
हमारे आचार में, 
विचार में, व्यहार में 
बस कहने को 
अब भी होली 
पहले की तरह ही 
जलाई जाती है,
पूरे हर्ष और उल्लास से
मनाई जाती है ?
और मिलावटी मिठाइयाँ
खिलाई जाती है 
मगर उम्मीद है जिंदा 
की हम बदल पाएंगे 
और इस होली पर
सच्चे रंग 
एक दूसरे को लगाएंगे
होली मुबारक
*****शिवराज****