रविवार, 30 नवंबर 2014

व्यथा


ज्ञात है सीमाएं मुझे अपनी ।
ज्ञात है सीमाऐं मुझे उसकी ।
मेरी सीमाए छु सकती है  
उसकी सीमाओ को ।
उस की सीमाओं की 
परिधि के अंदर जाना 
मुझे सख्त मना है,
अपनी सीमाएं तोड़ कर ।
बस इंतज़ार कर सकता हूँ 
सीमाये टूटने का 
या तो मेरी या उसकी ।
मैंने सुना है सीमाएं टूटती हैं ।
~~~~शिवराज~~~~~

शुक्रवार, 28 नवंबर 2014

पाखण्ड


साधू संत महंत, महिमा अनंत
समझो तो कोई, कौन है छुपा
किस भेष, किस परिवेश में 
किस काल में, किस देश में 
भक्त अनंत, भक्ति अनंत 
उनके साथ फिर छल अनंत 
चोट समाज पर, घाव अनंत 
जब विश्वास टूटे, राह छूटे 
नज़र में फ़ेर आये अनंत 
पाखंड एक दिन होता अंत 
इसलिए चाहिए हर मनुज 
जाने समझे और परखे 
के कौन संत , कैसा है संत 
जंगल जंगल, बाग़ बाग़ 
घूमते फिरते तमाम नाग
कुछ जकड़े फंदा कस मारे 
कुछ यूं ही फन फैलाये बेचारे 
और कुछ के होते विषदंत 
पहचानो इनको कौन सा है 
तब ही खेलो इनके संग 
----शिवराज--------

शनिवार, 22 नवंबर 2014

बचपन / Bachpan




अपने बचपन को दिल में धड़कने दो ।
जिंदगी की उम्र कुछ तो बढ़ जाएगी ।
Apne bachpan ko dil mein dhadakne do
Jindgi ki umr kuch to badh jaayegi

तकलीफें तो हम प्याला हैं हयात की ।
वक़्त के साथ आएंगी गुज़र जायेगी ।
Takleefe to humpyala hai hayat ki
Vaqt ke saath aayegi gujar jaayengi

बच्चों के लिए कुछ नेकियां छोड़ना।
देखना पीढ़िया तुमको गुनगुनाएंगी।
Baccho ke lie kuch nekiyan chodna
Dekhna peedhiyaan tumko gungunayegi

--------शिवराज------------


मंगलवार, 18 नवंबर 2014

लाजवाब / Laajawab


लाजवाब जवाब ,हर सवाल का दिया ।
हौले से मुस्कुराये और हंसी में टाल दिया ।
-----शिवराज------------

Laajawab jawab har sawal ka diya
Haule se muskuraaye aur hansi mein taal diya
--------------shivraj---------

दरारें / Dararen


अब जुड़ भी जाएगा तो दरारें रहेंगी
बारिश के मौसम में छत भी टपकेगी
मेरा दिल तेरा घर था जो तूने तोडा
पर अब भी तमाम उम्र तू यहीं रहेगी
------शिवराज------------

Ab jud bhi jaayega to darare rehengi
Baarish ke mausam mein chat bhi tapkegi


Mera dil tera ghar tha jo tune toda
Par ab bhi tamam umr tu yahi rehagi
----Shivraj-------

गुरुवार, 13 नवंबर 2014

ख़ामोशी / Khamoshi




मेरी ख़ामोशी से तुझे अंदाज़ा नहीं होगा ।
कितने तूफ़ान हैं उठ रहे हैं मेरे सीने में ।
तू मुझे तोड़ने की और कोशिश न कर ।
कहीं साथ मेरे डूब न जाए तू सफ़ीने में ।

------------शिव
Meri khaamoshi se tujhe aandaza nahi hoga
Kitne toofan uth rehe hain mere seene mein 
Tu mujhe todne ki aur koshish na kr 
Kahi saath mere doob na jaaye safeene mein 

----------Shiv

मंगलवार, 11 नवंबर 2014

तन्हाई / Tanhai

तन्हाई

अपनी धुन में था मैं तन्हाई में नहीं
वो मेरे साथ हरदम रही दिल में कहीं

Apni dhun mein tha main tanhai mein nahi
Vo mere saath hardam rehi dil mein kahin

रुस्वा समझ कर मुझको हमदर्द आ गये
मैंने कहा भैया मजे में हूँ जाओ और कही

Ruswa samajh ker mujhko hamdard aa gaye
Maine kaha bhayya meje mein hoon jaao aur kahin

------शिवराज-----

रविवार, 9 नवंबर 2014

सुनों



ख़ुशी बन के रहो या के गम बन के रहो ।
मैं तो ये चाहूं तुम बस मेरे ही बन के रहो ।
कोई भौरे नहीं हो तुम जो आवारा फ़िरो ।
फूल हो बाग़ के एक शाख पे तन के रहो ।
फूल की खुशबू का हक है चमन को भी ।
चाहें कांटो में खिलो दोस्त पवन के रहो ।
तेज हवाओं में तो झुक जाना ठीक है ।
टूटने का खतरा है जो ज्यादा तन के रहो।
जिंदगी जीने का दौर कुछ एसा हुआ है
अच्छा यही है के अब हो कफ़न के रहो ।
_____शिवराज___________

गुरुवार, 6 नवंबर 2014

जन्म दिन मुबारक

मेरे बड़े भाई अरुण त्रिपाठी
को उनके जन्म दिन पे समर्पित


ज्ञान की धारा
स्नेह का सागर
चरित्र से राम
वर्ण से श्याम
वाणी से कोमल
ह्रदय से निर्मल
कार्य में निष्ठा
समाज में प्रतिष्ठा
तेज में रवि
मन से कवि
हमारे साईं
अरुण भाई
एक सुधारक
जन्म दिन मुबारक
शत शत मुबारक
बारम्बार मुबारक
*****शिवराज******

बुधवार, 5 नवंबर 2014

ख़ुशी और दर्द

ख़ुशी और दर्द 
एक साथ मिलकर 
पीछा करते हैं
इंसान का 
जब ख़ुशी साथ चलती है 
दर्द थोडा पीछे हट जाता हैं 
ताकि तेज दौड़ कर वार करे 
बेहद तेज वार 
जब इस वार का दर्द होता है 
तब ख़ुशी आ जाती है पास
हाल पूछने, दर्द कम करने 
दर्द को आँख दिखाती है 
दर्द ओझल हो जाता है 
गर्दन झुका के 
फिर नज़र बचा कर 
दर्द और खुशी दोनों मिलते है 
एक दुसरे को ताली देते हैं 
अट्टाहस उपहास 
आखिर दोनों भाई बहन है 
सगे भाई बहन ।
*****शिवराज******

मंगलवार, 4 नवंबर 2014

जन्म दिन

साल में एक दिन, आता है 
जो एहसास दिलाता है 
काम करने ज्यादा है 
की कम बचे है दिन
             मेरा जन्मदिन

साल में एक दिन, मैं 
जांचने को की तन की उम्र 
से तेज तो नहीं है, मन की उम्र
चेहरे की झुर्रियां लेता, हूँ गिन              
               मेरा जन्म दिन

साल में एक दिन, मुझको
बधाइयों अम्बार होता है 
मगर मन में कहीं होता है 
कम हो रहे हैं जिंदगी के दिन 
             मेरा जन्म दिन 

साल में एक दिन, वो
सब दुख भूल जाती है 
लाती है तोहफा मेरे लिए
मुझे बताये बिन 
              मेरा जन्म दिन 

*******शिवराज*********

सोमवार, 3 नवंबर 2014

चोट /Chot

चोट गैरों से खाई तो संभल गए हम
चोट अपनों से खाई तो बदल गए हम
बदलते संभलते हर एक चोट से 
आहिस्ता आहिस्ता निखर गए हम 
---------शिवराज---------------

Chot gairo se khai to sambhal 
gayee hum
Chot apno se khai to badal gaye 
hum
Badelte sambhalte har ek chot se
Aahista  Aahista nikhar gaye hum
------------Shivraj--------------

वक़्त -२/Waqt-2

वक़्त घाव वक़्त मरहम
वक़्त दुश्मन वक़्त हमदम
चीख़ वक़्त वक़्त सरगम
वक़्त नहीं वक़्त हरदम

वक़्त ईनाम वक़्त सज़ा
वक़्त मना वक़्त रज़ा
बहार वक़्त वक़्त कज़ा
वक़्त शोक वक़्त मज़ा

वक़्त तन्हाई वक़्त मेला
वक़्त गुरु वक़्त चेला
खज़ाना वक़्त वक़्त धेला
वक़्त दर्शक वक़्त खेला

वक़्त आम वक़्त ख़ास
वक़्त डर वक़्त विश्वास
प्रशंशा वक़्त वक़्त उपहास
वक़्त सूनापन वक़्त एहसास 

वक़्त इंसान वक़्त भगवान
वक़्त देव वक़्त शैतान 
मस्त वक़्त वक़्त परेशान 
वक़्त बस्ती वक़्त शमशान 

वक़्त मैं वक़्त तुम 
वक़्त पास वक़्त गुम 
हंसी वक़्त वक़्त हुम 
वक़्त सागर वक़्त खुम 

शिवराज 


रविवार, 2 नवंबर 2014

मेरे अरमान मेरी ख्वाहिश और मेरी तम्मना /Mere arman meri khwhish aur meri tammana

मेरे अरमान मेरी ख्वाहिश और मेरी तम्मना ।
Mere arman meri khwhish aur meri tammana.
मिलो तो कभी फुर्सत से ये सब फिर, पूछना।
Milo to kabhi fursat se ye sab fir,poochna
एसी पहेली बन गयी है ज़िन्दगी इन दिनों ।
Esi paheli ban gayee hai jundgi in dino
मुश्किल है बहुत ही जिसको समझना बूझना ।
Mushkil hai bhaut isko samajhna boojhna
नादान दिल निकल ले चुपचाप दूजी गली से ।
Nadan dil nikal le chupchap duji gali se
इश्क की गली है ये, आगे रास्ता नहीं सूझना ।
Isha ki gali hau ye aage rasta nahi sujhna.
दिल किसी से लगाने को मना करता नहीं मैं ।
Dil kisi se lagane ko mana karta nahi main
टूट जाए तो बस इलाज मुझ से पूछना 
Toot jaaye to bus ilaj mujh se poochna
**********शिवराज************

क्यूँ / kyun

मिजाज़ बदल जाते है मौसम की तरह ।
Mizaz badal jaate hai mausam ki terah
प्यार बदल जाते है पैरहन की तरह ।
Pyar badal jaate hain pairhan ki terah
भरोसा रहा नहीं दोस्त, दोस्ती का भी अब।
Bharosa raha nahi dost, dosti ka bhi ab
के दुश्मन मिलने लगे है दोस्तों की तरह ।
Ke dushman milne lage hain doston ki terah
बच बच के चला हूँ अपनों से परायों से।
Bach bach ke chala hoon apno se parayon se
तब निकली है ये मेरी उमर किसी तरह ।
Tab nikli hai ye meri umar kisi terah
जीना है मजे में तो ये फन सीख लो ।
Jeena hai maje meun to ye fan seekh lo
दिल को बना लो किसी पत्थर की तरह ।
Dil ko bana lo kisi patthar ki terah
उस आदमी का कोई मतलब रहा होगा ।
Us aadmi ka koi matlab reha hoga 
मीठी बाते कर रहा था शक्कर की तरह ।
Meethi baaten ker reha tha shakkar ki terah
बच्चों नें ही उसको घर से बेदर कर दिया 
Baccho ne hi usko ghar se be dar kar diya
काम जिनके लिए किया उम्र भर खच्चर की तरह ।
Kaam jinke lie kiya khchchar ki terah
कान्हा की बांसुरी की धुन सी थी कभी मेरी बातें ।
Kaanha ki baansuri ki dhun si thi kabhi meri baaten
अब चुभने लगी उसे किसी नश्तर की तरह
Ab chubhne lagi use kisi nashtar ki terah
जिन्दगी की आज कल क्या कद्र रह गयी ।
Jindgi ki aajkal kya kadr reh gayee
मरते है रोज़ सैकड़ो मच्छर की तरह 
Marte hai roz saikdo macchar ki rerah
*********शिवराज****************